Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2022 · 2 min read

पानी का दर्द

आज पानी रो रही है
आज पानी रो रही है
सिसक सिसक दम तोड़ रही है
और हमसे पूँछ रही हैं।

सोचो कैसा लगता है
जब अपने करे अपनों पर प्रहार
अपनों से प्रताड़ित होकर
मैं हो गई हूँ आज लाचार।

मैंने दिया था तुमको
निर्मल – शुद्ध जल पीने के लिए
तुमने अपने मतलब के लिए
मुझको मैला कर दिया है।

मेरे चाँदी जैसे रंग को
तुमने काला कर दिया है,
अपने स्वार्थ में आकर तुमने
मेरा ही दम घोट दिया है।

तुमने अपने स्वार्थ लिए
मेरा मान-मर्दन किया है,
तरह- तरह की गंदगी मुझ में डाल
मेरा तिरस्कार किया है।

मेरे अमृत जैसे पानी में
तुमने कई तरह के
ज़हर को घोल दिया है
और तुमने अमृत से अब
मुझको विष बना दिया हैं।

मेरा पानी गुणों का खान था,
जीवन के लिए यह वरदान था,
इसको पीने से होती थी
तेरे जीवन की लम्बी डोर।

पर तुमने इसमें गंदगी डालकर
मेरे गुणों को कम कर दिया
और इसके वरदान होने पर
तुमने प्रश्न खरा कर दिया ।

इसलिए मैं कह रही हूँ
मेरे पानी को जाया न करो,
और मेरे बुँद- बुँद की कीमत
तुम सबको समझाया करो।

मैं हूँ एक अनमोल रत्न
एक बार जो खो गई
दूबारा ढूँढने पर भी
इस जग मे कहीं नहीं मिलूँगी।

मेरा मोल अब तो समझ लो
ऐ जग के तुम प्राणी
और व्यर्थ में न बहाओ
मेरा निर्मल सा पानी।

आज भी ऐ मूर्ख प्राणी
तेरे लिए सोच रही हूँ,
इसलिए तुमको बार – बार
मैं आकर समझा रही हूँ।

मैं जब नही रहूंगी इस धरती पर
तो इस जग का क्या होगा
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी
और तेरा भविष्य तुमको कोसेगा।

मैं फिर भविष्य से
कैसे मिल पाऊँगी
और कैसे अपने पानी को
फिर निर्मल बताऊंगी।

मैं कैसे भविष्य को यह बताऊँगी
यह सब तेरे इतिहास का किया धरा हैं
इसलिए अब तुम सम्भल जाओ
और भविष्य के लिए मुझे बचाओं।

तुम भविष्य के आँखों से
कैसे अपनी आँख मिला पाओगे
और कैसे उसके प्रश्नो का
तुम उत्तर दे पाओगे।

मै अगर न बच पाई तो
तुम कहाँ बच पाओगे
मेरे संग – संग इस दुनिया से
तुम भी तो चले जाओगे।

– अनामिका

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 419 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

3591.💐 *पूर्णिका* 💐
3591.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"जरा सुनो"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे भगवान बनना है
मुझे भगवान बनना है
Sudhir srivastava
कैसी ये शिकायतें?
कैसी ये शिकायतें?
शिवम राव मणि
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 21 नव
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 21 नव
Shashi kala vyas
"क्यूं किसी को कोई सपोर्ट करेगा"
Ajit Kumar "Karn"
पुण्यतिथि विशेष :/ विवेकानंद
पुण्यतिथि विशेष :/ विवेकानंद
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आखिर इतना गुस्सा क्यों ? (ग़ज़ल )
आखिर इतना गुस्सा क्यों ? (ग़ज़ल )
ओनिका सेतिया 'अनु '
सब बन्दे हैं राम के
सब बन्दे हैं राम के
महेश चन्द्र त्रिपाठी
हृदय कुंज  में अवतरित, हुई पिया की याद।
हृदय कुंज में अवतरित, हुई पिया की याद।
sushil sarna
मंत्र चंद्रहासोज्जलकारा, शार्दुल वरवाहना ।कात्यायनी शुंभदघां
मंत्र चंद्रहासोज्जलकारा, शार्दुल वरवाहना ।कात्यायनी शुंभदघां
Harminder Kaur
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
होलिका दहन कथा
होलिका दहन कथा
विजय कुमार अग्रवाल
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मैंने हर फूल को दामन में थामना चाहा ।
मैंने हर फूल को दामन में थामना चाहा ।
Phool gufran
याद आती हैं मां
याद आती हैं मां
Neeraj Agarwal
तू अपना सफ़र तय कर -कविता
तू अपना सफ़र तय कर -कविता
Dr Mukesh 'Aseemit'
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
Er.Navaneet R Shandily
भेज भी दो
भेज भी दो
हिमांशु Kulshrestha
वक्त
वक्त
Dinesh Kumar Gangwar
लघुकथा कौमुदी ( समीक्षा )
लघुकथा कौमुदी ( समीक्षा )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
.
.
*प्रणय*
सिलसिले..वक्त के भी बदल जाएंगे पहले तुम तो बदलो
सिलसिले..वक्त के भी बदल जाएंगे पहले तुम तो बदलो
पूर्वार्थ
Preschool Franchise India
Preschool Franchise India
Londonkids
जवानी
जवानी
Rahul Singh
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
बेवजह की नजदीकियों से पहले बहुत दूर हो जाना चाहिए,
बेवजह की नजदीकियों से पहले बहुत दूर हो जाना चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कविता
कविता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
Loading...