*पाते किस्मत के धनी, जाड़ों वाली धूप (कुंडलिया)*
पाते किस्मत के धनी, जाड़ों वाली धूप (कुंडलिया)
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पाते किस्मत के धनी, जाड़ों वाली धूप
जिसको भी यह मिल गई, समझो वह ही भूप
समझो वह ही भूप, वही केवल धन वाला
सूरज का वरदान, पा रहा दिव्य निराला
कहते रवि कविराय, अंग सब खुल-खुल जाते
गर्म-गर्म जब धूप, शीत में बूढ़े पाते
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भूप = राजा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451