पाठकों की कब क्या हो पसंद….
पाठकों की कब क्या हो पसंद….
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
पाठकों की कब क्या हो पसंद ,
मुझे कुछ पता ही नहीं चल पाता !
कर लेते हैं ऑंखें वो अपनी बंद ,
जो सदैव होश ही मेरा उड़ा जाता !!
रचना कोई तब सफल होती ,
जब पाठक वृन्द हैं उसे पढ़ते !
पर कभी कभी तो वे बिना पढ़े ही,
लाइक, कमेंट उसपे हैं कर देते !!
मैं तो कहता हूॅं कि जो रचना
पाठकों को नहीं भी है पसंद !
अवलोकन ध्यान पूर्वक उसे भी करें ,
पर जवाब में भावना अपनी प्रदर्शित करें !!
पर वे कदापि ऐसा नहीं करते ,
बस नाराज़ होकर ही रह जाते !
और दूसरी रचना से आस लगाते ,
सदैव इसी प्रक्रिया को वे हैं दोहराते !!
जब तक आप उचित समालोचना न करेंगे !
रचनाकार रचना की खामियाॅं कैसे समझेंगे !
फिर से वे अन्य रचना में कैसे सुधार करेंगे !
रचनाकार दुबारा भी वही गलतियाॅं करते फिरेंगे !!
अतः हाथ जोड़ पाठक गण से यही है विनती ,
कि वे अधिकतर रचनाओं का अवलोकन करें।
जो रचना उन्हें सबसे ज़्यादा पसंद आ जाए ,
उसको लाइक के साथ उचित कमेंट भी करें।
और जो रचना पढ़कर भी नापसंद आ जाए ,
उसमें खामियों को चिन्हित कर मार्गदर्शन करें।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : २९/०६/२०२१.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????