पागल मन कहां सुख पाय ?
पागल मन कहां सुख पाय ?
जहां जहां देखे सब एक लागे
भोर बेला पंछी उड़े निकले
सांझ बेला वही डाल आए
पागल मन नहीं सुख पावे ।
पागल मन कहां सुख पावे?
अधूरा प्यार बहुत तरपाये
बेवफा लोग को कैसे समझे
मीरा रही गई कृष्ण दीवानी
पागल मन नहीं सुख पावे ?
पागल मन कहां सुख पावे?
घड़ी घडी गिन दिन बिताए
पर मन को कौन मनाएं ?
रट रट तोता के राम बुलाए
पागल मन नहीं सुख पावे ।
गौतम साव