पाओ लक्ष्य
आहार निद्रा भय मैथुन
पशु औ मनुष्य मे समान
बुद्धि विवेक के कारण
अपेक्षाकृत हो जाता विशेष,
हो जाता वो अति विशेष
जब सत्य आश्रय में जीवन चलाता।
जैसा देखा सुना अनुभव किया
वैसा ही करना-कहते चलना,
मन वचन कर्म को कर्तव्य मे अपनाता।
कर्म योग का सार कर्तव्य,
सद्कर्म से जीवन का शून्य मूल्यों से भरता।
कर्तव्य की भावना महायज्ञ
मन संतुष्ट पवित्र हो जाता।
मत करो अयोग्य कर्म
कष्ट संकट को मत दो बुलावा,
बढो जीवन लक्ष्य की ओर
बाकी सब भुलावा।
माता-पिता गुरू ईश्वर नही करते निर्धारण,
चरित्र एवं आत्मबल ही कर्तव्य का निर्धारक।
सीख को धारण करना है जीवन का दर्शन,
पूजा प्रार्थना स्तुति अर्चन।
दुख संताप से चाहते जो मुक्ति
रहो सचेष्ट करो निर्वाह पाओ लक्ष्य।
पाओ लक्ष्य !पाओ लक्ष्य !पाओ लक्ष्य!
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
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अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297