पाँच सितारा, डूबा तारा
दिल्ली के एक अस्पताल में सात वर्षीया आद्या की 13 दिन तक डेंगू से जूझने के बाद मृत्यु हो गई| इस इलाज के लिए उसके माता-पिता ने करीब १६ लाख रुपये चुकाए | जिनका हिसाब देखने पर पता लगता है कि उस बच्ची को एक दिन में ४४ इंजेक्शन लगाए जाते थे| और भी न जाने किस किस तरह का अनावश्यक खर्चा बताया गया| इस सब के बाद भी बच्ची बच गई होती तो शायद यह खबर भी न बनती| पाँच सितारा अस्पताओं की वास्तविकता को दिखाने का इस कविता द्वारा प्रयास किया है |
धरती पर जिसे भगवान का रूप माना था
उसी चिकित्सक का क्रूर सत्य जाना था|
इस अस्पताल का है बहुत बड़ा नाम
पाँच सितारा सुविधाएं देना इसका काम |
सरकारी हस्पताल का है ही बुरा हाल
गन्दगी व काहिली का फैला यहाँ जाल
बीमारों के लिए यहाँ बिस्तर नहीं भरपूर
सुना जाते हैं झिड़की क्लीनर भी ज़रूर |
जो भी मनुष्य है ज़रा भी सामर्थ्य्वान
पांच सितारा का ही रुख करता है यह मान
यहाँ इलाज से यों बढ़ती भी है शान
आपका स्टेटस भी देख पाते हैं मेहमान
कुछ भी हो कारण, रोगी तो है रोगी
घरवाले हैं मानते , केयर पूरी होगी|
होती भी है, केयर, बदले जाते हैं रोज़ चादर
नर्स हो या डॉक्टर देते है सब आदर |
हाइजीन का रखते है इतना ध्यान
बदलते दस्ताने हर बार ये श्रीमान
गाउन भी डॉक्टर का हर बार बदला जाता है
इन सब का खर्चा रोगी का परिवार चुकाता है|
इंजेक्शन , ग्लुकोस, ब्लड, सब चढ़ाया जाता है
रोजाना एक न एक टेस्ट करवाया जाता है
रोगी की हालत में यदि न हो सुधार
तो दूसरे अस्पताल से एक्सपर्ट भी बुलाया जाता है
रोगी हो साधारण या हालत हो गंभीर
डॉक्टर की बात उसे कर देती उसे अधीर
रोग हो कुछ भी यही प्रोसेस अपनाया जाता है
छोटी भी यदि बात हो तो हौवा बनाया जाता है |
इतनी परवाह से रोगी हो जाता है निहाल
किसी भी बात पर उठाता नहीं सवाल
यदि ठीक हो गया तो मोटा बिल चुकाता है
डॉक्टर का शुक्रिया कर, घर अपने जाता है|
सभी नहीं होते किन्तु इतने भाग्यवान
कुछ को श्मशान में ही मिलता है आराम
अस्पताल को नहीं किन्तु उससे कुछ काम
चुकाना है बिल १६ लाख का तू जान |
दस दिन का किराया, कमरा जो साफ़ कराया
डॉक्टरों के दस्ताने, टेस्टों के फ़साने
एक दिन में सुइयां चवालीस, ग्लूकोस की बोतलें खालिस
डॉक्टर के नौ सौ गाउन का ,सबसे बड़ा अस्पताल है ये टाउन का
रोगी का खाना, मुफ्त थोड़ी है दवाखाना ?
मशीनों की देखभाल , सबसे बड़ा बवाल |
जन्म व मृत्यु तो होती रहती है संसार में
रोगी को लूटना अस्पताल के अख्तियार में |
डॉ मंजु सिंह गुप्ता