पाँच शेर
उसको नहीं है, आजुर्दगी l
दे कर इश्क को, पजमुर्दगी ll
इश्क में, ये हिज्र विसाल की पेचीदगी l
लाये प्यारी गमों खुशियों की, मोजुदगी ll
उस बदन की, खुबसूरत खमीदगी l
मुर्दे दिल को, सहज देती जिन्दगी ll
जब जब, बंद बंद हो बन्दगी l
भाग्य में, गजब गरजे गंदगी ll
ये सीमा रहित आजादगी l
देय, दनदनादन दगादगी ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न