पहेली
पहेली
———
प्रकाश और अंधकार
समय के अंतराल पर
एक दूसरे को
अपने आँचल में समेटते……….
कभी धूप और कभी छाँव
पल-पल इम्तिहान लेती
कभी सफल तो
कभी असफल………………….
सुख और दु:ख
मिलना और बिछड़ना
बनना और मिटना……………….
संवेदनाएं,विश्वास
आशा, निराशा
मान , स्वाभिमान…………………
समय के साथ चलती
यादों की तस्वीरें
सम्भावनाओं से भरपूर
निरंतर चलते रहना…………………
सुलझी , अनसुलझी
पहेली सी है ज़िंदगी…………………
— सुधीर केवलिया