Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Oct 2018 · 2 min read

पहुंच मंजिल तक

एक संत ने अपने दो शिष्यों को शिक्षा देने के उध्येश्य से बुलाया और कहा, “आपको यहाँ से पचास कि.मी.तक जाकर आना है।
एक भक्त को एक बोरी भोजन सामग्री से भर कर दी और कहा जो जरूरतमन्द मिले उसे देते जाना।
दूसरे को ख़ाली बोरी दी उससे कहा रास्ते मे जो उसे अच्छा मिले उसे बोरी मे भर कर ले आए।
दोनो निकल पड़े, जिसके कंधे पर भोजन सामग्री लदी थी, वह धीरे-धीरे चल पा रहा था,
जबकि ख़ाली बोरी वाला भक्त आराम से चल रहा था।
चलते चलते राह में जो जरूरतमन्द मिलता पहले वाला शिष्य कुछ न कुछ देता जाता।
अचानक रास्ते में उन्हें एक सोने की ईंट मिली दूसरे ने उसे अपनी बोरी मे डाल लिया।
थोड़ी दूरी पर फिर सोने कीईंट मिली,उसे भी उठा लिया।
जैसे जैसे चलते गए कभी सोना मिलता कभी कोई जरूरतमन्द।
एक अपनी बोरी में सोना भरता दूसरा अपनी बोरी में से कुछ न कुछ निकाल कर बाँटता जाता।
अब भोजन सामग्री वाली बोरी का वजन कम होता जा रहा था जबकि खाली बोरी सोने के वजन से भारी होती जा रही थी।
जो बाँटता चल रहा था वह अब आसानी से चल रहा था जबकि भरने वाले की हालत खस्ता थी।
आखिर वह समय भी आया जब भोजन सामग्री वाली पूरी खाली हो गई और खाली बोरी सोने की ईंटों से भर गई।
अब स्थिति एकदम उल्ट हो गई थी,जिसने बाँटा वह आसानी से मंजिल तक पँहुच रहा था जिसने इक्कठा किया उससे चलना तो दूर हिलना भी मुश्किल हो रहा था।
अचानक सन्त उनके सामने प्रकट हुए और बोले…….
“देखा आपने बाँटते बाँटते हम कितनी आसानी से मन्ज़िल तक पँहुच सकते हैं जबकि यदि केवल इक्कठा ही करते गए तो कभी मन्ज़िल नहीं पा सकते।”
दोनो शिष्य सन्त की दी शिक्षा पाकर उपकृत हो गए।
यदि हमें भी मन्ज़िल पानी है तो बाँटने(जरूरतमन्द की सहायता करने) की आदत डालनी होगी।

Language: Hindi
279 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम करने आता है तो, प्रेम समझने आना भी चाहिए
प्रेम करने आता है तो, प्रेम समझने आना भी चाहिए
Anand Kumar
बिन मौसम.., बरसे हम।
बिन मौसम.., बरसे हम।
पंकज परिंदा
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
कवि रमेशराज
जात आदमी के
जात आदमी के
AJAY AMITABH SUMAN
---- विश्वगुरु ----
---- विश्वगुरु ----
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
2603.पूर्णिका
2603.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दिल की गुज़ारिश
दिल की गुज़ारिश
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
समर्थवान वीर हो
समर्थवान वीर हो
Saransh Singh 'Priyam'
रिश्ते..
रिश्ते..
हिमांशु Kulshrestha
if you love me you will get love for sure.
if you love me you will get love for sure.
पूर्वार्थ
दोहा- मीन-मेख
दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जागी जवानी
जागी जवानी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
Johnny Ahmed 'क़ैस'
हारता वो है जो शिकायत
हारता वो है जो शिकायत
नेताम आर सी
पर्यावरण सम्बन्धी स्लोगन
पर्यावरण सम्बन्धी स्लोगन
Kumud Srivastava
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
Dr Tabassum Jahan
नफ़रत
नफ़रत
विजय कुमार अग्रवाल
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
प्रेमदास वसु सुरेखा
👍👍👍
👍👍👍
*प्रणय प्रभात*
*आओ सब जन पार्क में, करो नित्य ही योग (कुंडलिया)*
*आओ सब जन पार्क में, करो नित्य ही योग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आज, नदी क्यों इतना उदास है.....?
आज, नदी क्यों इतना उदास है.....?
VEDANTA PATEL
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कराहती धरती (पृथ्वी दिवस पर)
कराहती धरती (पृथ्वी दिवस पर)
डॉ. शिव लहरी
शाम
शाम
Kanchan Khanna
चेहरे की शिकन देख कर लग रहा है तुम्हारी,,,
चेहरे की शिकन देख कर लग रहा है तुम्हारी,,,
शेखर सिंह
दम उलझता है
दम उलझता है
Dr fauzia Naseem shad
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
காதலும்
காதலும்
Otteri Selvakumar
मेरे लव्सों का वज़ूद हो तुम ,
मेरे लव्सों का वज़ूद हो तुम ,
Chaahat
" नजरिया "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...