पहाड़ों के दरमियाँ एक नदी बहती हुई
?हिमाचल की यादें ताज़ा करती रचना?
पहाड़ों के दरमियाँ, एक नदी बहती हुई
हिरणी-सी चलती गई सर्दियां सहती हुई-1
पानी की लहरें हो, या छलकता पैमाना
शायद दिल की लगी, बयां करती हुई-2
पेड़-पर्वत-नदियों ने ओढ़ी बर्फीली चादरें
बर्फ से बचने के लिए बर्फ में रहती हुई-3
सुना,अनसुना किया, मैंने नदी की सदा
औ’नदी बढ़ती रही बहती रही कहती हुई-4
ये पहाड़ी रास्ते क्या मंजिलों तक जाएंगे?
ख्वाहिशों की सदा दिल से चली रहती हुई-5
©आनंद बिहारी, चंडीगढ