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15 Feb 2024 · 1 min read

पहाड़ पर कविता

पहाड़ के लोग
पहाड़ आएंगे ज़रूर

जब बिक चुकी होगी जमीं सब
पुरखो का बनाया/बसाया हुआ
बेच दिए होंगे
सभी गाड़-धार; मात्र चंद पैसों के खातिर..

पहाड़ के लोग शहरों के
सौ गज की दौड़ में मशगूल हैं
हापाधापी करते हुवे..
अपनो से ही कंपीटीशन करते हुवे

ज़िन्दगी भर की
प्राइवेट नौकरी से
कमाया हुआ सारा का सारा धन लगा कर
पढ़ाई-लिखाई और स्वास्थ्य
ये व्यवस्था मात्रभर कसूर है पहाड़ का
और कुछ नहीं।

✒️Brij Rawat

2 Likes · 207 Views
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