पहले से तय है
पहले से तय है…!
वो बच्चा जो अभी पैदा भी नंही हुआ…!
उसका मजहब पहले से तय है…!
उसका दुश्मन दोस्त कौन है…!
पहले से तय है..!
उसको किसकी जय बोलनी है…!
किसी की गांठ बाँधनी खोलनी है…!
पहले से तय है..!
मेरी अपने उन्ही बच्चों से गुजारिश है…!
कि हम पुरानी बातों पर ना चले…!
अपना कदम,अपनी समझ से चले..!
अपनी जिंदगी को खुद तय करें …!
छोड़े जो पहले से तय है…!
हमारा तजुर्बा हमारे समय के हिसाब से सही हो…!
पर आज की दुनिया विपरीत है…!
दोस्त और दुश्मन,खुद चुने सही हो..!
वो नही जो पहले से तय है…!
हम तो आप बच्चों को …!
पैदा होने से पहले ही दुश्मन दे देते हैं..!
आपके अंदर बचपन से ही नफरत भर देते हैं…!
तुम वो छोडो जो पहले से तय है…!
मुस्लिम बच्चा है…तो काफिरो से नफरत.!
हिंदू है..तो मुसलमानों से नफरत…!
बस हम आपको यही विरासत देते हैं…!
हटाओ जो पहले से तय है…!
अगर बचपन से आपके अंदर,,,
मानव के प्रति प्रेम मिले सुंदर..,
तो आज दुनिया ऐसी ना होती….
ये आपकी नंही,बच्चों..ये हम पूर्वजों की गलती है…!
नया करो छोडो जो पहले से तय है…!
हमने जो खुद सीखा,वही आपको सिखा दिया…!
मत सीखना मेरे बच्चों…समझदार बाप की दबी जुबान..
हम इंसान है ये सच पहले से तय है…!
हमें हिंदू और मुसलमान बनाने वाले तो कुछ कामचोर ठग हैं…
लाल लाल सब रक्त है देखो एक अपनी रग है…
आओ मानवता की सौगंध कसम कुरान की,,
मनु मीले हाथ सब गले जो पहले से तय है….!
साभार●● एक नास्तिक,,,
मानवीयता के पुजारी की कलम से,,,
पँक्ति शब्द सुधार,,,मानक लाल मनु,,,????