Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2024 · 1 min read

पहले माता पिता को लगता था, की बेटियों के लिए लड़का सही मिल ज

पहले माता पिता को लगता था, की बेटियों के लिए लड़का सही मिल जाए लेकिन अब ये चिंता बेटों के लिए भी होने लगी हैं, की उन्हें लड़की सही मिल जाए..!

56 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सर्दी की धूप*
*सर्दी की धूप*
Dr. Priya Gupta
वर्तमान
वर्तमान
Kshma Urmila
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
Ajit Kumar "Karn"
बहुत तरासती है यह दुनिया जौहरी की तरह
बहुत तरासती है यह दुनिया जौहरी की तरह
VINOD CHAUHAN
हिंदी भाषा में प्यार है
हिंदी भाषा में प्यार है
Sonam Puneet Dubey
Raksha Bandhan
Raksha Bandhan
Sidhartha Mishra
एक घर मे दो लोग रहते है
एक घर मे दो लोग रहते है
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मुहब्बत सचमें ही थी।
मुहब्बत सचमें ही थी।
Taj Mohammad
कितनी प्यारी प्रकृति
कितनी प्यारी प्रकृति
जगदीश लववंशी
3099.*पूर्णिका*
3099.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
Neelam Sharma
जीवन का जीवन
जीवन का जीवन
Dr fauzia Naseem shad
सब कुछ हमे पता है, हमे नसियत ना दीजिए
सब कुछ हमे पता है, हमे नसियत ना दीजिए
पूर्वार्थ
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
ट्रेन संख्या १२४२४
ट्रेन संख्या १२४२४
Shashi Dhar Kumar
रेत पर मकान बना ही नही
रेत पर मकान बना ही नही
कवि दीपक बवेजा
विधाता छंद
विधाता छंद
डॉ.सीमा अग्रवाल
बाबुल का आंगन
बाबुल का आंगन
Mukesh Kumar Sonkar
देर
देर
P S Dhami
फिर कब आएगी ...........
फिर कब आएगी ...........
SATPAL CHAUHAN
..
..
*प्रणय प्रभात*
"लिख सको तो"
Dr. Kishan tandon kranti
डायरी मे लिखे शब्द निखर जाते हैं,
डायरी मे लिखे शब्द निखर जाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
Neelofar Khan
जिंदगी रूठ गयी
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गीत
गीत
Shiva Awasthi
*होता है अमर नहीं कोई, अमरत्व भला किसने पाया (राधेश्यामी छंद
*होता है अमर नहीं कोई, अमरत्व भला किसने पाया (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
अपने देश की अलग एक पहचान है,
अपने देश की अलग एक पहचान है,
Suraj kushwaha
परिस्थितियां ही जीवन का परिमाप हैं.
परिस्थितियां ही जीवन का परिमाप हैं.
Satyakam Gupta
भारत माता के सच्चे सपूत
भारत माता के सच्चे सपूत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...