पहले की भारतीय सेना
सेना का रंग रूप बदल गया,
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सेना का रंग रूप बदल गया,
बदल गया अब ढंग।
कहाँ गयी ओ सी की जोगा
कहाँ गयी वन टन।
कलफ की वर्दी,ऊंचा तुर्रा,
गर्व से भरता मन।
ओ जी निक्कर खाकी टॉवेल,
और मेस्टिन सरकारी।
कहाँ है वाइट मग्गा तश्तरी,
डालडा की सुहारी।
कहाँ चली गयी मिलिट्री बोगी।
कहाँ है फ्री वारंट।
शक्तिमान की धक धक धक धक,
और वह चौड़ा टेंट।
एस एम लीटर दारू पीता,
तब कुछ चढ़ता रंग।
सेना का रंग रूप बदल गया,
बदल गया अब ढंग।
कम्पनी बाबू का टाइप राइटर,
साइक्लोस्टाइल छापा खाना।
पे बुक और,एकाउंट्स रोल में,
लाइन से वेतन पाना।
याद करो वो भी क्या दिन थे,
सैनिक आता गांव।
लिए बेड होल्डर और एक बक्सा,
चलता लम्बे पाँव।
पूरा गाँव मगन हो कहता,
देखो आया फौजी।
सिंदूर बिंदिया लगा महावर,
खूब मुश्काएँ भौजी।
फौजी बातें सुन कर सारे,
लोग भूलते गम।
शाम को कुछ लोग बैठ संग,
पीते डीएफआर रम।
कभी कभी फौजी पी लेता,
घोटी मीठी भंग।
सेना का रंग रूप बदल गया,
बदल गया अब ढंग।
भारतीय सेना सदैव रहती,
जोश जुनून भरी।
देश में कैसी भी विपदा हो,
उतरी सदा खरी।
पहले तो थे साधन थोड़े,
तब फौजी गुर्राते थे।
जल थल महियल कहीं हो दुश्मन,
ढूंढ में मारे भागते थे।
आज सुसज्जित संसाधन से,
हैं घातक हथियार।
अगर पड़ोसी करे हिमाकत,
जान से देंगे मार।
होगें दांत खट्टे दुश्मन के,
यदि होगी कोई जंग।
सेना का रंग रूप बदल गया,
बदल गया अब ढंग।
सतीश सृजन