पहले इजाज़त तो मिले !
पहले इजाज़त तो मिले !
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लौटूंगा एक दिन….
याद मुझे करना !
जो रूठ गया तो….
प्यार मुझे करना !!
इतने चन्द दिनों का
अनुभव अच्छा रहा !
भले ना कुछ मिला
पर सफ़र का साथी रहा !!
याद आएंगे ये दिन….
कड़ा संघर्ष जो किया !
पर है मेरा मन ग़मगीन
जो चाहा सो ना मिला !!
बहुत कड़ी प्रतियोगिता थी
सबने ही मेहनत किया !
पर जीतेगा वो साथी ही
जिसने समर्पण है किया !!
कुछ गुणीजनों ने तो….
भला बुरा ही लिख दिया !
पर उनकी रचनाओं ने भी
अच्छा प्रदर्शन ही किया !!
और जिस रचना में….
अच्छी-अच्छी बातें थी !
वे सारी ही रचनाएं….
कुछ ख़ास न कर सकीं !!
इन चीज़ों का हमने
अच्छे से नोटिस लिया !
फिर भी सदा हमने
सिस्टम पे भरोसा किया !!
मेरी ये सारी ही बातें….
किसी को कड़वी न लगे !
होंगी फिर कभी मुलाकातें….
पहले इजाज़त तो मिले !
पहले इजाज़त तो मिले !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : २१/०६/२०२१.
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