पहले आदमी 10 लाख में
पहले आदमी 10 लाख में
“डिप्टी कलेक्टर” बन जाता था।
अब 15 लाख में मुश्किल से
“पटवारी” बन पा रहा है।
इसे कहते हैं मंहगाई।
छोड़ो टमाटर के गीत।।
■प्रणय प्रभात■
पहले आदमी 10 लाख में
“डिप्टी कलेक्टर” बन जाता था।
अब 15 लाख में मुश्किल से
“पटवारी” बन पा रहा है।
इसे कहते हैं मंहगाई।
छोड़ो टमाटर के गीत।।
■प्रणय प्रभात■