पहली बारिश
बरसात कम होती है, बादल कम गरजते हैं,
नदियाँ प्यासी रहती हैं, शहरों के नाले उफनते हैं,
नदीयां शांत रहती हैं, नाले आवारा होते हैं,
झुग्गियां बाढ़ झेल जाती हैं, पुल धरासायी होते हैं,
काम होता नहीं, हू हल्ला से माहौल बनाए जाते हैं,
किताबें मौन रहती हैं, अखबार झूठ फैलाते जाते हैं,
ये आज का दौर है देखो, तकनीकी का यह तौर है देखो,
ताजमहल वक्त को मात देता है, मंदिर पहली बारिश में ढह जाते है,
बड़ी बड़ी इमारतें और शानो शौकतें बस दिखावा है,
पैसों के लालच में यहाँ ईमान खरीदे और बेचे जाते हैं ।।
prAstya…….(प्रशांत सोलंकी)