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19 Jun 2024 · 1 min read

पहली बारिश..!

बारिश की हल्की फुहारों से मैंने पुनः स्मृतियों को संजोया है,
देखो तो कैसे एक अनछुई सी तड़पन लिए मानसून आया है !!

हृदय में सख्त हो चुके वेदनाओ को आज फिर मैंने भिगोया है ,
नैनों के बहते आँसुओ को पोछ नन्हे बूंदों ने प्रेम से सहलाया है !!

इन काली घटाओं को देख बरसों से बंधे बालों को संवारा है ,
ये बेईमान मौसम उनसे मिलने की चाह दुबारा जो ले आया है !!

क़ुदरत के नखरों ने बहती हवाओ से मौसम आज यूं बदला है,
मेरे बीतें लम्हों के साथ ढलती उम्र को उसने फिर जवां किया है !!

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