पहली नजर का प्यार
******* पहली नजर का प्यार *********
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पहली नजर का वो प्यार,मिलता नहीं दुबारा,
दो से हुई आँखे चार , मिलता नहीं दुबारा।
चुपके से देख उसका मंद मंद सा मुस्कराना,
पकड़े जाने पर झट से बहुत ज्यादा घबराना,
ईश्क हो गया है बेशुमार, मिलता नहीं दुबारा।
दो से हुई आँखे चार , मिलता नहीं दुबारा।
उदास उसे देखूँ तो आंखों में आँसू आ जाना,
चोट उसे लग जाए तो मेरा चोरी से कुरलाना,
छाया रहता नशा खुमार,मिलता नहीं दुबारा।
दो से हुई आंखें चार , मिलता नही दुबारा।
खुशी खुशी से मन भर जाए जब जब निहारूँ,
अंबर में चमकते तारों संग मैं भी मुस्कराऊँ
प्रेम का चढ़ जाए बुखार,मिलता नही दुबारा।
दो से हुई आंखें चार , मिलता नही दुबारा।
लाख कोशिशें नाकाम हुई कुछ न कह पाया,
पहली मोहब्बत को सीने अन्दर था दफनाया,
न ही सुन स्का मैं इन्कार, मिलता नहीं दुबारा।
दो से हो गसी आंखें चार,मिलता नही दुबारा।
मनसीरत रातों को उठ कर अकेला बैठ रोया,
लगता बिल्कुल ऐसे था जैसे सब कुछ खोया,
सूना सूना लगता संसार,मिलता नही दुबारा।
दो से हो गई आंखें चार,मिलता नही दुबारा।
पहली नजर का वो प्यार,मिलता नही दुबारा।
दो से हो गई आंखें चार ,मिलता नही दुबारा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)