रह गया मैं सिर्फ ” लास्ट बेंच “
पहला बेंच अब क्या होगा जब तुम नही ,
तुम्हारी किलकारियां ,मेरा मौज पहला बेंच ,
ढूढ़ती मेरी निगाहें तुम्हारा क्रोध अब क्या होगा ,
छूट गया अब तुम्हारा संग ,पहला बेंच ,
मिलती थी तस्सली आ जाने पर ,अब क्या होगा ।
रहे न तुम रहा न वह समय अब क्या होगा ,
बिखर गए रिश्ते और हम पहला बेंच ,
कस मकस ,तड़प, और मौज न रहा ,अब क्या होगा ,
तुम न रहे ,तुम्हारा क्रोध न रहा ,और न रहा पहला बेंच ।।
अब रहा तो लास्ट बेंच और कुछ नही ,
बेबाक , फुर्तीला सा विद्यार्थी रहा अब तुम नही ,
स्वतंत्र ,मगन -मस्त लीन मैं अब रहा —-
न रहा पहला बेंच ,न रहे तुम , न रहा क्रोध तुम्हारा ,
रह गया तो सिर्फ मैं ,””लास्ट बेंच”” ।।।