पहला प्यार
वो मेरा पहला प्यार
छिपा रह गया दिल के किसी कोने में
ना कह पाया
जिसका अफसोस रह गया
दिल के किसी कोने में
वो मासूम सा चेहरा
जो दिल में घर बनायी थी
चाहा तो था बहुत बार
पर जुबान से कह नहीं पाया था
वो अफसोस ना कह पाने का
जो आंसू बनकर निकल आया था
वो दिखावटी मुस्कुराहट
आंखों को रुला देता था
आज भी वह चेहरा भूल नहीं पाया है
जिंदगी भर अफसोस का ठेका जो उठाया है
सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार