Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Oct 2024 · 1 min read

पहचान

गीतिका
~~~
जिसको सत्य की है पहचान।
व्यक्ति वही होता है महान।

आगे निकल जाते हैं लोग।
रह जाते चरणों के निशान।

घर बनते यदि हो स्नेह भाव।
वरना रह जाते सब मकान।

चढ़ते जाते ऊंचे पहाड़।
होता है लक्ष्यों का संधान।

होता सम्मुख पूर्ण आकाश।
जब पंछी हैं भरते उड़ान।

सपने हुआ करते साकार।
तब तक नहीं रुकते अभियान।

सभी कुछ जब होता मालूम।
मंजिलें कब रहती अंजान।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
*26 फरवरी 1943 का वैवाहिक निमंत्रण-पत्र: कन्या पक्ष :चंदौसी/
*26 फरवरी 1943 का वैवाहिक निमंत्रण-पत्र: कन्या पक्ष :चंदौसी/
Ravi Prakash
" लगन "
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
गणेश अराधना
गणेश अराधना
Davina Amar Thakral
🙅राहत की बात🙅
🙅राहत की बात🙅
*प्रणय*
कोशिश करना छोड़ो मत,
कोशिश करना छोड़ो मत,
Ranjeet kumar patre
नाजुक -सी लड़की
नाजुक -सी लड़की
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
एक लम्हा
एक लम्हा
Dr fauzia Naseem shad
Shankarlal Dwivedi reciting his verses and Dr Ramkumar Verma and other literary dignitaries listening to him intently.
Shankarlal Dwivedi reciting his verses and Dr Ramkumar Verma and other literary dignitaries listening to him intently.
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
3554.💐 *पूर्णिका* 💐
3554.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मातर मड़ई भाई दूज
मातर मड़ई भाई दूज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ये दुनिया गोल है
ये दुनिया गोल है
Megha saroj
आत्मवंचना
आत्मवंचना
Shyam Sundar Subramanian
चाय ही पी लेते हैं
चाय ही पी लेते हैं
Ghanshyam Poddar
अव्यक्त भाव को समझना ही अपनापन है और इस भावों को समझकर भी भु
अव्यक्त भाव को समझना ही अपनापन है और इस भावों को समझकर भी भु
Sanjay ' शून्य'
तेरे मेरे बीच में,
तेरे मेरे बीच में,
नेताम आर सी
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
Neelofar Khan
सुनती हूँ
सुनती हूँ
Shweta Soni
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
अरशद रसूल बदायूंनी
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
क्या लिखूँ....???
क्या लिखूँ....???
Kanchan Khanna
में स्वयं
में स्वयं
PRATIK JANGID
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
जिंदगी बहुत प्यार, करता हूँ मैं तुमको
जिंदगी बहुत प्यार, करता हूँ मैं तुमको
gurudeenverma198
वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
Dr. Upasana Pandey
सुकून मिलता है तेरे पास होने से,
सुकून मिलता है तेरे पास होने से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Know your place in people's lives and act accordingly.
Know your place in people's lives and act accordingly.
पूर्वार्थ
!! रे, मन !!
!! रे, मन !!
Chunnu Lal Gupta
खाक मुझको भी होना है
खाक मुझको भी होना है
VINOD CHAUHAN
Loading...