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14 Oct 2024 · 1 min read

पहचान

गीतिका
~~~
जिसको सत्य की है पहचान।
व्यक्ति वही होता है महान।

आगे निकल जाते हैं लोग।
रह जाते चरणों के निशान।

घर बनते यदि हो स्नेह भाव।
वरना रह जाते सब मकान।

चढ़ते जाते ऊंचे पहाड़।
होता है लक्ष्यों का संधान।

होता सम्मुख पूर्ण आकाश।
जब पंछी हैं भरते उड़ान।

सपने हुआ करते साकार।
तब तक नहीं रुकते अभियान।

सभी कुछ जब होता मालूम।
मंजिलें कब रहती अंजान।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 15 Views
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