पहचान तुमसे है
मेरी ज़िंदगी मेरी ये जान तुमसे है
मेरी हर एक साँस तुमसे है
मेरे चेहरे की मुस्कान तुमसे है
मैं अधूरी हूँ तुम्हारे बिना, मेरा सारा संसार तुमसे है
मैं एक टूटा तारा हूं मेरा पूरा चांद तुमसे है
तुम हो तो सब कुछ अपना सा लगता है
तुम्हारे बिना सब कुछ सपना सा लगता है
यह नदियां झील किनारे
ये जमीं ये आसमां ये चांद सितारे
तुम्हारे बिना फीके से लगते हैं ये सभी नज़ारे
मेरी हर एक चांदनी रात तुमसे है
मेरी मुलाकात सोगात तुमसे है
हर मेघ में जो बरसात हो वो बरसात बस तुमसे है
मैं एक अधूरी जिंदगी हूँ
मेरी जिंदगी की पूरी किताब तुमसे है
मेरी रूह, मेरी आत्मा, मेरी हंसी, मेरी खुशी
मेरी सुबह, मेरी ढलती शाम तुमसे है
मेरे दिल की धड़कन, धड़कनों पर लिखा हुआ वो नाम तुमसे है
मेरा हर सपना साकार तुमसे है
मेरे शब्द, शब्दों में कही जाने वाली वो बात तुमसे है
मैं अजनबी बन गई हूँ खुद से
रूबरू हुई हूँ जिस पहचान से
मेरी हो पहचान बस तुमसे है।
-ज्योति खारी