“पहचानो अपने मित्रों को “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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सोचता हूँ किसी को
पत्र लिखूँ ,
अपना परिचय उसे दूँ ,
आखिर कब तलक
हम यूँ अंजान रहेंगे ?
पर डर लगता है
मुझको यहाँ !
सब लोग अपने -अपने
धुन के मतवाले हैं ,
कहाँ उनको फुर्सत है
किसी को जानने का !
बस उनको रंगमंच पर
अपनी कला को निखारना
आता है ,
रंग -बिरंगी छवि को
लोगों को दिखाना आता है !
ऐसी क्या बात है कि
आप दोस्त बन गए
हजारों लोगों से रूबरू होते हैं
पर अंजान हैं हमलोग
सामने से गुज़र जाएँ
पहचान नहीं पाते हैं ,
आखिर इस मौनता को
हम संवादों से
ही तोड़ सकते हैं
पत्राचार के माध्यम से
मित्रता की
बुलंदियों को छू सकते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
22.12.2024