पशु पक्षी आजाद मगर इन्सान बंद हैं,
सभी सम्मानित कविवृंद को नमन।
आज की गोष्ठी में प्रस्तुत हैं चार चार पंक्तियों की चंद चतुष्पदियां।
1.
कोरोना के चलते पूरा देश बंद है।
घर, दफ्तर, बाजार पूर्ण परिवेश बंद है।।
रैली, रेले, मेले, टेले, हाट, सिनेमा,
आलू, टिक्की, चाट,बंद, संदेश बंद है।
2.
घर से बाहर आवाजाही पूर्ण बंद है
दफ्तर और बजार बंद हैं, रेल बंद है।
कुदरत ने भी देखो कैसा खेल रचाया।
पशु पक्षी आजाद मगर इन्सान बंद है।
3.
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे अरु चर्च बंद हैं।
ट्रीट, पार्टी और मॉल का खर्च बंद है।
रबड़ी, कुल्फी, फालूदा के इस मौसम में,
काढ़ा चालू है पर फ्रिज की बर्फ बंद है।।
4.
यहाँ दवाई और, प्राण की वायु बंद है।
इनके चलते हर पीड़ित की श्वास बंद है।
ईश्वर ने तो साधन सारे दे रक्खे हैं।
किन्तु जहन में इन्सानों के भरी गंद है।
5.
मानव के कष्टों का प्रभु अब अंत करो।
त्राहि त्राहि हर ओर मची है मंद करो।
करुणासागर हो करुणा का घट खोलो।
मरघट की इन ज्वालाओं को बंद करो।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।