Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Mar 2019 · 2 min read

पवित्र औरत

लघुकथा
शीर्षक – पवित्र औरत
=================

बाजार से लौटते समय सहसा मेरी दृष्टि एक शव-यात्रा पर पड़ी जिसमें बमुश्किल 5-6 लोग ही शामिल थे, वे भी मीना बाजार के।
मीना बाजार यानी तवायफों का मोहल्ला, ऐसा क्षेत्र जहां दिन के उजाले में जाना सभ्यलोगों के लिए वर्जित है, हाँ रात में अंधेरे का दुःशाला ओढ़कर मुझ जैसे कथित सभ्य या नव-धनाढ्यों का वहां जाना हैसियत की बात मानी जाती है। रही बात बदनाम लोगों की , तो उनपर कौन कब निगाह रखता वहाँ आने- जाने पर।

उत्सुकतावश एक से पूँछ ही लिया- “कौन गुज़र गया, किसकी मय्यत है?”
– “सोहनीबाई की,,,,” – संक्षिप्त से यह जवाब सुनकर मैं हतप्रभ रह गया – “सोहनी बाई नहीं रही,,,,,,”

सोहनीबाई किसी जमाने में गज़ब के हुश्न की मलिका थी। जब वह बाजार में आयी तो सभ्य लोगों के बीच चर्चा का विषय थी और सभी सज्जन पुरुष उसकी चौखट पर पड़े रहते थे। मै भी उन लोगों में एक हुआ करता थाl पैसे का रुतवा कहूँ या जवानी का जोश, उस मालिका के सामने सब फीका सा लगता थाl
ऐसे ही एक दिन वो मेरे परिवार के बारे में पूछ बैठी – ” पंडित जी आपके परिवार में कौन-कौन है”
– ” माँ, बीबी और दो बच्चे ” – मैंने कहा।
– ” पंडित जी मुझे आपसे यह उम्मीद न थी,,,, ” – सोहनी बाई कहा – “,,, एक हँसता-खेलता परिवार छोड़ कर मुझ जैसी गंदगी की चौखट पर पड़े हैं,,,, घिन आती है मुझे आप जैसे लोगो पर,,,, मै तो हालात की मारी हूँ, मगर आप क्यों स्वर्ग छोड़ नरक में आ पड़े ,,,,?”

उसकी बाते मेरे मन मदन घर कर गई। उस दिन के बाद मैंने उसकी तरफ कभी नही देखा, बस अपने परिवार में खुशिया ढूंढने लगा। मेरा संपूर्ण जीवन ही परिवर्तित कर दिया था सोहिनी बाई ने।

‘राम नाम सत्य है’,,,- से मेरी तन्द्रा टूटी और अनयास ही मेरे कदम उस पवित्र औरत की अंतिम यात्रा में सम्मिलित हो गये, और कपकपाते हाथों ने उसकी अर्थी को थाम लिया …..

राघव दुबे
इटावा
84394 01034

Language: Hindi
445 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*बुंदेली दोहा-चिनार-पहचान*
*बुंदेली दोहा-चिनार-पहचान*
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आए हैं रामजी
आए हैं रामजी
SURYA PRAKASH SHARMA
कैसे कह दूँ ?
कैसे कह दूँ ?
Buddha Prakash
विजया दशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं 🎉🙏
विजया दशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं 🎉🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हमेशा सच बोलने का इक तरीका यह भी है कि
हमेशा सच बोलने का इक तरीका यह भी है कि
Aarti sirsat
कुछ नया लिखना है आज
कुछ नया लिखना है आज
करन ''केसरा''
दोस्तों अगर किसी का दर्द देखकर आपकी आत्मा तिलमिला रही है, तो
दोस्तों अगर किसी का दर्द देखकर आपकी आत्मा तिलमिला रही है, तो
Sunil Maheshwari
*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
VEDANTA PATEL
क्यों याद तुमको हम कल करेंगे
क्यों याद तुमको हम कल करेंगे
gurudeenverma198
सूर्य देव
सूर्य देव
Bodhisatva kastooriya
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
मेरी मंज़िल क्या है,
मेरी मंज़िल क्या है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
काश! मेरे पंख होते
काश! मेरे पंख होते
Adha Deshwal
इसलिए भी मेरे ख़ूँ में वतन-परस्ती आई है
इसलिए भी मेरे ख़ूँ में वतन-परस्ती आई है
Trishika S Dhara
राह तक रहे हैं नयना
राह तक रहे हैं नयना
Ashwani Kumar Jaiswal
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
ruby kumari
तेरे ख़्याल में हूं
तेरे ख़्याल में हूं
Dr fauzia Naseem shad
कान्हा वापस आओ
कान्हा वापस आओ
Dr Archana Gupta
23/23.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/23.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
As gulmohar I bloom
As gulmohar I bloom
Monika Arora
02/05/2024
02/05/2024
Satyaveer vaishnav
सत्य मिलता कहाँ है?
सत्य मिलता कहाँ है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"इन्तहा"
Dr. Kishan tandon kranti
साक्षात्कार स्वयं का
साक्षात्कार स्वयं का
Pratibha Pandey
बच्चा जो पैदा करें, पहले पूछो आय ( कुंडलिया)
बच्चा जो पैदा करें, पहले पूछो आय ( कुंडलिया)
Ravi Prakash
लड़कियां शिक्षा के मामले में लडको से आगे निकल रही है क्योंकि
लड़कियां शिक्षा के मामले में लडको से आगे निकल रही है क्योंकि
Rj Anand Prajapati
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
P S Dhami
हरियाली तीज
हरियाली तीज
SATPAL CHAUHAN
Loading...