पवित्र अग्नि के सात फेरे
पवित्र अग्नि के सात फेरे ,
जन्म -जन्म तक अब हम तेरे।
जो थे तेरे अब वो मेरे ,
जो थे मेरे अब वो तेरे।
सात वचन जन्मों के वादे,
हाथों में लेकर हाथ किये।
बना साक्षी ध्रुव का तारा,
गठबंधन दोनों साथ किये।
नव जीवन की शुरुआत के ,
नव खुशी मन आस के फेरे।
पवित्र अग्नि के सात फेरे …..
पिया प्रीत की जोड़े पहने ,
अब छोड़ चली बचपन अपने।
पूरे हुए अधूरे सपने ,
जो थे पराये हुए अपने।
दो परिवार को संग जोड़े ,
पावन-सी रिश्तों के घेरे।
पवित्र अग्नि के सात फेरे …..
मेरी दुनिया अब तुम मेरे ,
तुम से रौशन जीवन मेरे।
मान -प्रतिष्ठा तुम से मेरे ,
साज -श्रृंगार साजन मेरे।
प्रेम -प्रीत के बाँधे डोरे ,
हर वचन विश्वास के फेरे।
पवित्र अग्नि के सात फेरे …..
साँस -साँस की गंध समेटे ,
जब तक जिऊँ रहो तुम मेरे।
हो तेरे बाहों के घेरे ,
गोदी में निकले दम मेरे।
मुख -अग्नि मिले हाथों तेरे ,
निभे सात वचन अग्नि के फेरे।
पवित्र अग्नि के सात फेरे …..
-लक्ष्मी सिंह