पवन तनय हनुमान
पेशकार हैं राम के, पवन तनय हनुमान।
उनके अनुग्रह के लिए, धरिये इनका ध्यान।।
रामचन्द्र के इष्ट हैं, ओंकार महादेव।
हनूमान के रूप में, सेवक रहे सदैव।।
किया कर्म हर आपने, प्रभु मन के अनुरूप।
विशेष अनुग्रह आप पर, है उनका सुरभूप।।
माना मैं पापी घना, बजरंगी हनुमान।
लेकिन तुलसी सी कृपा, मैं चाहूँ श्रीमान।।
मुझे भरोसा आप पर, पूरा है कपि शूर।
बाधा मेरी मुक्ति की, आप करेंगे दूर।।
जय श्री राम।
जयन्ती प्रसाद शर्मा