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7 Feb 2024 · 1 min read

पल

पल
कोई अटका पल
शायद आज लिख दे
अपनी जुबानी
कोई आपबीती
अपनी कहानी
——–*—–
कोई हर्षित पल
शायद आज पिरो दे
बिन बात में हंसाई
हंसते-हंसते में रुलाई
नृतन मन मयूरी
निरखन सपन सिन्दुरी
——–*—–
कोई अनुरक्त पल
शायद आज प्रवाह दे
पाषाण में प्राण
मुकुलित मुस्कान
मंगल मोद गान
——–*—–
कोई पवित्र पल
शायद दे कोई सौगात
मन हो सिंधु सरीखा
रंज हो तिल सरीखा
हर्ष हो ताड़ सरीखा
संगीता बैनीवाल

2 Likes · 130 Views
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