पल
पल
कोई अटका पल
शायद आज लिख दे
अपनी जुबानी
कोई आपबीती
अपनी कहानी
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कोई हर्षित पल
शायद आज पिरो दे
बिन बात में हंसाई
हंसते-हंसते में रुलाई
नृतन मन मयूरी
निरखन सपन सिन्दुरी
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कोई अनुरक्त पल
शायद आज प्रवाह दे
पाषाण में प्राण
मुकुलित मुस्कान
मंगल मोद गान
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कोई पवित्र पल
शायद दे कोई सौगात
मन हो सिंधु सरीखा
रंज हो तिल सरीखा
हर्ष हो ताड़ सरीखा
संगीता बैनीवाल