*पल दो पल ठहर तो सही*
पल दो पल ठहर तो सही
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पल दो पल ठहर तो सही,
मन की बात कह तो सही।
रुक जा कुछ पहर,इस शहर,
नीयत कुछ समझ तो सही।
मिलने की ललक,हर तरफ,
सुन दिल की तड़फ तो सही।
पी लूँ झट जहर,कह अगर,
सह लूँ हर कहर तो सही।
आ जा रह गुजर, हम सफर,
कुछ चल दो कदम तो सही।
यूँ ही जिद न कर,मत अकड़,
खुद को तुम बदल तो सही।
मनसीरत कथन कर सहन,
कर हम पर रहम तो सही।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)