पल की खबर नहीं
पल भर में क्या हो जाये,
किस को खबर है,
पल भर में कौन बिछड़ जाये
किस को खबर है,
रास्ता बस दो कदम का है,
कब सांस निकल जाये
किस को खबर है,
एक रोटी का टुकड़ा उठाने
से पहले कब दम निकल जाये
किस को खबर है
सामने हो कारवां आने वाले
कल का, कब हम इतिहास हो जाये
किस को खबर है,
इस भाग दौड़ की जिन्दगी में
घर से निकलना जरूरी है,
सामने हो मौत खड़ी, यह
किस को खबर है
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ