Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

पलाश के फूल

छोड़ जाता हूँ रोज
गुमनाम खत उनके नाम
धूप हवाओं के पास
इस उम्मीद में कि वो समझ ले
क्यों है तपिश आज धूप में,
हवायें रुक-रुककर क्यों बह रही है??
आये थे वे कभी बसन्त बनकर
मिला मैं, सरसो के फूल सा।
विरह में अब उनके
लगा झड़ने खेतो में,
उनकी यादो के साथ।
आज है लिख छोड़ा खत में
रोना मत लौट आया हूॅ मैं
तुझसे मिलने की खातिर
पतझड़ के मौसम में,
पलाश का फूल बनकर।

Language: Hindi
57 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from NAVNEET SINGH
View all
You may also like:
कबीरा गर्व न कीजिये उंचा देखि आवास।
कबीरा गर्व न कीजिये उंचा देखि आवास।
Indu Singh
अंतरात्मा की आवाज
अंतरात्मा की आवाज
SURYA PRAKASH SHARMA
समय की बात है
समय की बात है
Atul "Krishn"
फुलवा बन आंगन में महको,
फुलवा बन आंगन में महको,
Vindhya Prakash Mishra
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
सुबह की चाय हम सभी पीते हैं
Neeraj Agarwal
सब गुजर जाता है
सब गुजर जाता है
shabina. Naaz
माँ जन्मदात्री , तो पिता पालन हर है
माँ जन्मदात्री , तो पिता पालन हर है
Neeraj Mishra " नीर "
आंधी
आंधी
Aman Sinha
✍️ कर्म लेखनी ✍️
✍️ कर्म लेखनी ✍️
राधेश्याम "रागी"
सौन्दर्य, समय, सुख-दुख, प्रेम और....
सौन्दर्य, समय, सुख-दुख, प्रेम और....
इशरत हिदायत ख़ान
शुभ होली
शुभ होली
Dr Archana Gupta
फारसी के विद्वान श्री सैयद नवेद कैसर साहब से मुलाकात
फारसी के विद्वान श्री सैयद नवेद कैसर साहब से मुलाकात
Ravi Prakash
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गिरने से जो डरते नहीं.. और उठकर जो बहकते नहीं। वो ही..
गिरने से जो डरते नहीं.. और उठकर जो बहकते नहीं। वो ही.. "जीवन
पूर्वार्थ
"अनमोल"
Dr. Kishan tandon kranti
याद
याद
Kanchan Khanna
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
Ashwini sharma
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
PRATIK JANGID
..
..
*प्रणय*
पानी जैसा बनो रे मानव
पानी जैसा बनो रे मानव
Neelam Sharma
सुनो...
सुनो...
हिमांशु Kulshrestha
तुझे नेकियों के मुँह से
तुझे नेकियों के मुँह से
Shweta Soni
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Ram Krishan Rastogi
*मजदूर*
*मजदूर*
Dushyant Kumar
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
Suryakant Dwivedi
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
करती रही बातें
करती रही बातें
sushil sarna
नवगीत : मौन
नवगीत : मौन
Sushila joshi
🌹थम जा जिन्दगी🌹
🌹थम जा जिन्दगी🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
Loading...