पलायन का संकट!-गाँवों की उपेक्षा-शहरों का आकर्षण!
जैसे ही हुआ यह ऐलान,सड़कें हो गई सुनशान!
महामारी से बचने का यह उपाय है,घर पर ही रुकने का सुझाव है!
शहरों में था सन्नाटा पसरा, गाँवों पर ना कोई असर पड़ा.!
एक ओर शहर गया ठहर, उधर गांव में किसान खेत पर!
एक ओर चिंता है तो स्थिरता भी है,उधर गांव में खेती पर जोर है!
शहरों में एक दम एकांकीपन है,उधर गांव में घनघोर हलचल है!
शहरों में समान दूरी का उपक्रम है,गांव में फसलों का संग्रह क्रम है
शहरों में वेतन है , व्यापार है,गांव मे वर्षा से बचने का उपचार है!
वेतन जो मिलना ही है माह में, यहाँ फसलें जो मौसम पर निर्भर ,
शहरों में वेतन के अनुसार प्रबंधन है,गांव में अनिश्चित वातावरण है
मेहनत तो दोनो ओर से हो रही, पर आर्थिक असमानता का दंड है
क्यों कि ओर खुशहाली है,वहीं गांव में फिर भी तंगहाली है!
एक ओर ठाट-वाट का जीवन ,वहां जीने की मशक्कत का जतन !
हाँ, यही असमानता है पलायन का कारण!
शहरों में बढ़ती भीड़ का शोर,इधर गांव से दूर होते लोग!
खुशहाली का स्वप्न देखते ग्रामीणों का गांव छोड़ कर आना,
और शहरों की चकाचौंध में खो सा जाना!
आज उस अभागे को गांव याद आ गया ,
चल पड़ा वह बढाते कदम,अब उसे उसका गांव याद आया!
वर्ना गांव तो उसके लिए एक सैर सपाटा बन गया था जहाँ,
या सिर्फ यह सोच की मेरी पैतृक संपत्ति है वहां!
वही गांव उसका संबल बनकर उभरा है,
जहाँ हाड तोड मेहनत है, पर दाम तो कम है
खेती भी है मौसमी , पर तो काम भी कम है!
अभाव से भरा जीवन है, पर सुकून तो है! ज्यादा की चाह में ना भागें,गाँवों को ही विकसित करें!
आओ मिलकर अलख जलाएं,गाँवों को विकसित बनाएँगे,
तब ही जाकर गांव को पलायन से रोक पायेगें!!