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13 Sep 2024 · 1 min read

पलकों में ही रह गए,

पलकों में ही रह गए,
सब पलकों के ख्वाब ।
रुखसारों पर शेष थे,
अश्कों के सैलाब ।।

सुशील सरना / 13-9-24

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