#कुंडलिया//निंदा ज़हर है तेज़
गुड़ से मीठा खास रस , पर की निंदा यार।
मज़ा बहुत है डाल के , क़दमों नीचे ख़ार।।
क़दमों नीचे ख़ार , भेद औरों के खोलें।
प्रेम भरे घर फूँक , ख़ुशी में हँसके डोलें।
सुन प्रीतम की बात , बाँट मत झूठा चिट्ठा।
अंत मिलेगी लाज , नहीं चुगली फल मीठा।
#आर.एस. ‘प्रीतम’