पर दारू तुम ना छोड़े
दारू घर में मार कराये, रिश्ते सारे तोड़े.
छोड़ दिये सगे सहोदर, पर दारू तुम ना छोड़े.
पर दारू तुम ना छोड़े.
डूब गये सब संस्कार, बापू जो सिखलाये थे.
आँसू बहाती अम्मा जी भी, गयीं हाथ को जोड़े.
पर दारू तुम ना छोड़े.
पाल रही है जुगनी, बच्चों को जैसे तैसे.
राशन लाने को कही, तो बोतल सर पर फोड़े.
पर दारू तुम ना छोड़े.
फीस तगादे बच्चे सुनते, यार भी खूब चिढाते.
नये बहाने रोज ही करते, पाते है दस कोड़े.
पर दारू तुम ना छोड़े.
मुकेश श्रीवास्तव