पर खोल…
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नए साल की शुरुआत कर ले
पर खोल चल उड़ ले…..
शैल सा शील धर ले
पीर के पर्वत चढ़ ले
हो हौसला चट्टानों सा
ऊँचाइयाँ तय कर ले
पर खोल
चल उड़ ले
कभी थकेगा कभी रुकेगा
यथार्थ भार से झुकेगा
टूट टूट कर गिरेगा
गिर कर फिर उठ ले
पर खोल
चल उड़ ले
भर ले ऐसी उड़ान
कम पड़ेगा आसमान
तीर चढ़ेंगे कई कमान
इरादों के ढाल गढ़ ले
पर खोल
चल उड़ ले
आसमाँ का तू बाशिंदा
बन बादल पवन परिंदा
हो यक़ीन तू है ज़िंदा
तोड़ पिंजरा परवाज़ भर ले
पर खोल
चल उड़ ले
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
रेखांकन।रेखा