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26 Oct 2023 · 1 min read

“पर्व विजयादशमी का”

मन में उपजे भ्रांतियों के गढ़ कैसे घहराऊं।
अपने अंदर भी एक रावण है कैसे इसे जलाऊं।।

विजया दशमी के पावन वेला पर, बुराईयों का परित्याग करें।
अपने भीतर की काया को मल-मल कर ऐसे साफ करें।

जिस काल गति को बल पूर्वक, मद में रावण ने पाला था।
उसी काल ने विधि के खातिर दशानन के प्राण निकाला था।

धरती पताल जिसके चलने मात्र से थर-थर थर-थर कांप रहे थे।
काल गति भी जिसके भय से थर-थर थर-थर कांप रहा था
एक वक्त भी था ऐसा रावण रणभूमि में सांसे नाप रहा था

वक्त का ऐसा प्रबंधन, उदाहरण कोई और नहीं प्रभंजन।
सब करनी औ फलदायक ब्रह्म, विष्णु औ महेश्वर का हो अभिनंदन।

Language: Hindi
1 Like · 191 Views
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