पर्वो का संगम
पर्वो का संगम
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आज है कार्तिक पूर्णिमा,घर घर दीप हम जलाए,
जहां छाया हो घोर अंधेरा, वहां प्रकाश हम लाए।
आज है गंगा स्नान,ज्ञान की डुबकी हम लगाए,
जो अज्ञानी है जग में,उनका अज्ञान दूर भगाए।
आज है गुरुनानक जयंती,आओ लंगर हम लगाए,
जो जग में भूखे प्राणी,उनको पेट भर खाना खिलाएं।
आज देव दीपाली,देवो को इस भू पर हम बुलाए,
करे उनकी पूजा अर्चना,उनके आशीष हम पाए।
कैसा है ये पर्वो का संगम,हर प्राणी इसे मनाता,
शरद ऋतु का स्वागत कर,ग्रीष्म ऋतु को विदा देता।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम