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20 Jun 2023 · 1 min read

*पर्वत से दृढ़ तुम पिता, वंदन है शत बार (कुंडलिया)*

पर्वत से दृढ़ तुम पिता, वंदन है शत बार (कुंडलिया)
______________________________
सागर-से गंभीर तुम , नभ जैसा विस्तार
पर्वत-से दृढ़ तुम पिता ,वंदन है शत बार
वंदन है शत बार , सदा देते ही पाया
घर को शुभ आकार ,मिली तुमसे ही काया
कहते रवि कविराय ,स्वयं सिमटे गागर-से
चाह रहे संतान , बने बढ़कर सागर से
______________________________
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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