पर्यावरण
आज विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रस्तुत मुक्तक….
दिन-दिन बढ़ता ताप धरा पर,मानव तू अबतक अंजान।
यह विकास है राह पतन की,अपनी त्रुटियों को पहचान।
जल-थल-वायु प्रमुख स्रोत सभी,किये प्रदूषित मानव ने,
अभी न रोका चक्र दोहन का,धरा न हो जाये वीरान।
अर्चना सिंह?