Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2023 · 1 min read

” पर्यावरण”

उठो, जागो

इस धरा को प्रदूषण से मुक्त करायें हम
वक्त है अभी भी, जागरूकता का संदेश फैलाये हम

आधुनिकता की परिभाषा में बंजर हुई धरती को
फिर से लहलहाये हम , नहीं काटे हम वृक्षों को, वृक्षारोपण बढ़ायें हम।
मत करो आधुनीकरण प्रकृति का, नीर खाम हो जायेगा
हे मूर्ख मानव तू फिर, प्यासा ही मर जायेगा,

माटी के बर्तन का प्रयोग, पूर्वजों ने हमें सिखाया है
न जाने ये ‘विष’ प्लास्टिक का इस ग्रह पर कहां से आया
त्यागो इसको तत्काल ही, ये सर्व नाश कर जायेगा
पछताते रह जायेंगे हम और हाथ कुछ नही आयेगा

डॉ. कामिनी खुराना (एम.एस., ऑब्स एंड गायनी)

1 Like · 221 Views
Books from Kamini Khurana
View all

You may also like these posts

- जिंदगानी की कहानी -
- जिंदगानी की कहानी -
bharat gehlot
दुनियाँ में सबने देखा अपना महान भारत।
दुनियाँ में सबने देखा अपना महान भारत।
सत्य कुमार प्रेमी
"आशिकी में"
Dr. Kishan tandon kranti
वीर अभिमन्यु– कविता।
वीर अभिमन्यु– कविता।
Abhishek Soni
अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
........?
........?
शेखर सिंह
तू खुद को मेरे नाम कर
तू खुद को मेरे नाम कर
Jyoti Roshni
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
Jitendra Chhonkar
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
Ramji Tiwari
साया हट गया है, फिर नया बरगद तलाशिये...
साया हट गया है, फिर नया बरगद तलाशिये...
sushil yadav
**कविता: आम आदमी की कहानी**
**कविता: आम आदमी की कहानी**
Dr Mukesh 'Aseemit'
क़ैद में रो रहा उजाला है…
क़ैद में रो रहा उजाला है…
पंकज परिंदा
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
Ranjeet kumar patre
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
पूर्वार्थ
रंजिशें
रंजिशें
AJAY AMITABH SUMAN
बितियाँ बात सुण लेना
बितियाँ बात सुण लेना
Anil chobisa
पूर्ण सफलता वर्तमान में मौजूद है हमें स्वयं के रूपांतरण पर ध
पूर्ण सफलता वर्तमान में मौजूद है हमें स्वयं के रूपांतरण पर ध
Ravikesh Jha
देश भक्ति
देश भक्ति
Santosh kumar Miri
"दिल का हाल सुने दिल वाला"
Pushpraj Anant
माँ
माँ
Dr Archana Gupta
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गर तुम हो
गर तुम हो
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
आत्म-बोध प्रकाश
आत्म-बोध प्रकाश
Shyam Sundar Subramanian
* संवेदनाएं *
* संवेदनाएं *
surenderpal vaidya
सबकी यादों में रहूं
सबकी यादों में रहूं
Seema gupta,Alwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
मज़दूर
मज़दूर
MUSKAAN YADAV
*किस्मत वाले जा रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (पॉंच दोहे)*
*किस्मत वाले जा रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
जां से गए।
जां से गए।
Taj Mohammad
Loading...