पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण पर मुक्तक
कर ऐसा तू कृत्य मनु, वसुधा पर छाये बसंत,
खग मृग तरु ताड़ वल्लरी,सब हो जायेंप्राणवंत।
प्रदूषण की कुरूप घटा, कहीं रहे न शेष,
सकल पर्यावरण में हरियाली लहराए अनन्त।
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मां धरणी पर स्वास्थ्य ऊर्जा काही हो मूल आधार
पर्यावरण के दुष्ट शत्रु प्रदुषण का ही करदो संहार।
उर्वर हो अचला खूब औषधि जड़ी-बूटियां उपजे,
वारि संरक्षण विटप रोपण का ही हो बहु अंबार।
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कर सबके हित हेतु प्रण मनु,हो संतुलित पर्यावरण
रहें सुरक्षित सभी जीवजंतु,थल प्रकृति तालाब तरण।
मर रहे खग विहग तिल तिल नहीं जल विटप शेष,
नदी नदीश प्यासे सूखे आश्रयदायी सब अभ्यारण
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निर्मल जल में औद्योगिक मल देख हुआ पर्यावरण व्याकुल,
वायु,जल,ध्वनि प्रदूषण से हुई वसुधा अति विहृल
पर्यावरण परिवेश संरक्षण,चुनों पहली जिम्मेदारी,
अपने दायित्व का करें निर्वहन,हो गई धरा विकल
नीलम शर्मा