पर्यावरण संरक्षण
कभी बाढ़ सूखा कभी, प्रकृति हुई बीमार
अभी समय स्वीकार कर, मानव जिम्मेदार
मानव जिम्मेदार, स्वार्थ औ अहम है आया
पर्वत जंगल काट, ह तूने महल बनाया
कह पाठक कविराय, समझ लो अभी ये सभी
पर्यावरण बचाव, आपदा आए नहीं कभी
कभी बाढ़ सूखा कभी, प्रकृति हुई बीमार
अभी समय स्वीकार कर, मानव जिम्मेदार
मानव जिम्मेदार, स्वार्थ औ अहम है आया
पर्वत जंगल काट, ह तूने महल बनाया
कह पाठक कविराय, समझ लो अभी ये सभी
पर्यावरण बचाव, आपदा आए नहीं कभी