“पर्यावरण संरक्षण” हाइकु
“पर्यावरण संरक्षण” हाइकु
(१)धरा उदास
दहकते पलाश
मेघा बरसो।
(२)बढ़ी आबादी
प्रकृति की बर्बादी
जंगल कटे।
(३)बहा तेजाब
प्रदूषित सैलाब
धरती रोई।
(४)फूटा बादल
भिगोया मरुस्थल
गीला आँचल।
(५)पेड़ लगाओ
प्रदूषण हटाओ
वन बचाओ।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी (मो.-9839664017)