पर्यावरण रक्षक —वृक्ष
1.
जंगल सब वीरान हैं , धरा हुई सुनसान ।
ताप दिनों दिन बढ़ रहा , आफत में है जान ।।
2.
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ा , वसुंधरा का ताप ।
पिघल रहे सब ग्लेशियर , ऊँची सागर माप ।।
3.
भूमि प्रदूषण वायु ,जल , वाहन दूषण शोर ।
छेद छत्रि ओजोन में , पॉलीथिन का जोर ।।
4.
जनसंख्या सुरसा बढ़ी , रोक सके तो रोक ।
वरन प्रदूषण तन्त्र से , छा जाएगा शोक ।।
5.
सीवर ढाँचा निगलता , नदियों का सुख चैन ।
वाहन जितने भी बढ़े , बढ़ी प्रदूषण रैन ।।
6.
वृक्ष ,वायु ,पानी सभी ,कुदरत के उपहार ।
इनका संरक्षण करे ,पर्यावरण सुधार ।।
7.
घर बाहर की गंदगी , है रोगों की खान ।
पर्यावरण स्वच्छ रखें ,स्वस्थ रहे इंसान ।।
8.
ग्रीनहाउस गैस घटें ,ऐसे करें उपाय ।
ए सी,वाहन ,फ़्रीज को , कम करके मुस्काय ।।
9.
जनसंख्या की वृद्धि में , सभी लगाम लगायँ ।
औद्योगिक प्रदूषण हित , चिमनी ऊँच बनायँ ।।
10.
दिवंगतों की याद में ,एक लगाएँ पेड़ ।
वृक्ष रूप में स्मृति रहे , बनती सुंदर मेड़ ।।
11.
छाया और सुंदरता ,जिन पेड़ों के पास ।
सड़क किनारे दें लगा ,बन जाएं वो खास ।।
12.
पुनः प्रयोग , प्रयोग कम , रिसायकल सिद्धांत ।
शुद्ध पर्यावरण रहे ,वही करें संभ्रांत ।।
13.
जंगल की उपयोगिता ,समझें और बतायँ ।
जो जंगल को काटते , उनको दंड दिलायँ ।।
14.
बरगद ,पीपल,नीम का , अद्भुत है संसार ।
ऑक्सीजन ,औषध सहित , यही छाँह आधार ।।
15.
भवन नहीं ‘ वन’ चाहिए, याद रखें ये लोग ।
जीवन भी ‘वन ‘ से जुड़ा , वन से है सुख भोग ।।
16.
कलयुग शंकर पेड़ हैं , पिएँ प्रदूषण शूल ।
वृक्ष लगा , तरुवर बचा , करें न इसमें भूल ।।
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प्रबोध मिश्र ‘ हितैषी ‘
वरिष्ठ साहित्यकार ,
बड़वानी (म.प्र.) 451551
मो.79 74 921 930