पर्यावरण पर हाइकु
न प्रदूषण
स्वच्छ पर्यावरण
कर लें प्रण
धरा संतप्त
पर्यावरण त्रस्त
है अस्त व्यस्त
भूमि क्षरण
नष्ट पर्यावरण
सुख हरण
यही अपेक्षा
पर्यावरण रक्षा
सृष्टि सुरक्षा
त्रस्त वसुधा
पर्यावरण सुधा
सुखी वसुधा
प्रकृति मित्र
पर्यावरण चित्र
अति विचित्र
मानव भिज्ञ
पर्यावरण यज्ञ
न हो अवज्ञ
पर्याप्त वर्षा
पर्यावरण हर्षा
जन उत्कर्षा
मानव तृष्णा
प्रकृति वितृष्णा
उत्पन्न घृणा
पुकारुं ईश
प्रकृति दे आशीष
नत है शीश
नष्ट कांतार
पर्यावरण सार
मिटा आधार
शिखर नष्ट
पर्यावरण रुष्ट
होगा अनिष्ट
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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