पर्यावरण दिवस
पर्यावरण दिवस
जीव, धरती, प्रकृति के
चारों तरफ है आवरण।
संतुलन में सजग हो जन
तब ही सुखों का आगमन।।
जंगलों की गल सुनो
हर जीव की अठखेलियां।
भौतिकता के भरम में
अब न मना रंगरेलियां।।
रोक ना नदियों की राहें
जल का संकट बढ़ रहा।
हरीतिमा वृक्षों की खोकर
कालोनियां तू गढ़ रहा ।।
वृक्ष – पुत्रों से मिलेगी
प्राणवायु, जल की मंजिल।
महामारी दूर होगी
शुद्धता से होगा अन्न-जल।।
हेरा फेरी बदनुमा
इक दाग पर्यावरण पर।
सौम्यता शुचिता अलंकृत
मांग है इस आवरण पर।।
स्वरचित
डॉ.रेखा सक्सेना