Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2024 · 1 min read

*पर्यावरण दिवस * *

जंगल के दरख्तों को उतार कर आँगन में,
हमने एक दिन का मेला सजाया है।
‘पर्यावरण दिवस’ के नाम पर,
बाज़ार ने फिर से नाटक रचाया है।
धरती माँ की छीन हरी चादर के आँचल को ,
आलीशान शामियाने और टेंट लगवाये है ।
मेहमानों की चहल कदमी को दिया रेड कारपेट वेलकम ,
काट के पेड़ सामने के अहाते में पार्किंग शेड बनाये है ||
गला तरकरने के लिए प्लास्टिक बोतल बंद ठंडा पानी ,
दीवारों पर’ पानी बचाओ’ के नारे चिपकाये हैं |
आसमान से उगलती तेज गर्मी खातिर ,
हाल में एयर कंडीशनर भी लगाए हैं ।
धुआं उगलते कारखाने की चिमनियों को,
आज एक दिन के लिए बंद कर दिया है ।
प्रदुषण फैलाने का ठेका आज ,
‘पर्यावरण विद’ नेता ने अपने जिम्मे लिया है ।
भाषण होंगे , संकल्प लिखेंगे ,बड़े बड़े आयोग बनेंगे,
पर्यावरण की चिंता में आज नेताओ के आंसू बहेंगे |
दूर सूखे कुँए के किनारे पे खड़े सूखे दरख्त,
अपनी बदहाली अपने आंसुओं से कहेंगे |
ओ प्रकृति! तेरी करुणा के आगे नतमस्तक हैं हम,
क्यों अपनी ज़िम्मेदारी से मुख मोड़ चले।
पाल पोश कर बड़ा किया तूने ,
तेरे ही आँचल में विष छोड़ चले ।
रचनाकार-डॉ मुकेश ‘असीमित ‘

1 Like · 93 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
छल और फ़रेब करने वालों की कोई जाति नहीं होती,उनका जाति बहिष्
छल और फ़रेब करने वालों की कोई जाति नहीं होती,उनका जाति बहिष्
Shweta Soni
नाना भांति के मंच सजे हैं,
नाना भांति के मंच सजे हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
Not the people but the mind, Not the storm but the silence,
Not the people but the mind, Not the storm but the silence,
पूर्वार्थ
#शीर्षक:- नशीली आँखो में झाँक
#शीर्षक:- नशीली आँखो में झाँक
Pratibha Pandey
आपन गांव
आपन गांव
अनिल "आदर्श"
हाथों में हैं चूड़ियाँ,
हाथों में हैं चूड़ियाँ,
Aruna Dogra Sharma
ശവദാഹം
ശവദാഹം
Heera S
एक मंज़र कशी ओस के संग 💦💦
एक मंज़र कशी ओस के संग 💦💦
Neelofar Khan
2828. *पूर्णिका*
2828. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कहां से कहां आ गए हम....
कहां से कहां आ गए हम....
Srishty Bansal
मैं सिर्फ उनके लिए लिखता हूं
मैं सिर्फ उनके लिए लिखता हूं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
VINOD CHAUHAN
इबारत जो उदासी ने लिखी है-संदीप ठाकुर
इबारत जो उदासी ने लिखी है-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
नाथ शरण तुम राखिए,तुम ही प्राण आधार
नाथ शरण तुम राखिए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
Story of homo sapient
Story of homo sapient
Shashi Mahajan
जीवन में
जीवन में
ओंकार मिश्र
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
उमड़ते जज्बातों में,
उमड़ते जज्बातों में,
Niharika Verma
बड़ा मज़ा आता है,
बड़ा मज़ा आता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
निर्मम बारिश ने किया,
निर्मम बारिश ने किया,
sushil sarna
माँ मेरी
माँ मेरी
Dr fauzia Naseem shad
सकट चौथ की कथा
सकट चौथ की कथा
Ravi Prakash
सच तो जिंदगी भर हम रंगमंच पर किरदार निभाते हैं।
सच तो जिंदगी भर हम रंगमंच पर किरदार निभाते हैं।
Neeraj Agarwal
ऋतु परिवर्तन
ऋतु परिवर्तन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मोर मुकुट संग होली
मोर मुकुट संग होली
Dinesh Kumar Gangwar
कुछ बिखरे ख्यालों का मजमा
कुछ बिखरे ख्यालों का मजमा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
Buddha Prakash
बुंदेली दोहा - सुड़ी
बुंदेली दोहा - सुड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मंजिल की तलाश जारी है कब तक मुझसे बचकर चलेगी तू ।
मंजिल की तलाश जारी है कब तक मुझसे बचकर चलेगी तू ।
Phool gufran
🙅क्लीन होगा
🙅क्लीन होगा "नीट"🙅
*प्रणय*
Loading...