पर्यावरण दिवस की शुभ कामनाएं – १
पर्यावरण दिवस की शुभ कामनाएं
भाग – १
धुआँ, धुआँ, बादल, बादल।
ऐ कैसा? धरती, पर, आँचल।।
कर रहा, हर तन मन धायल l
यह कौन? हुआ इतना पागल।।
कल कला का, कैसा? दौर आया।
हर माथे को, उजड़ा उजड़ा पाया।।
जमीं से निकाला, कैसा? काला पन।
काला कर गया, सबका तन मन।।
ये कल पुर्जे, ये रसायन l
कर रहे मानव का, पतन।।
हर तरफ, धुआँ और आवाज।
यह किसका? मानव पर राज।।
मानव बना व्यापारी शैतान ।
जग ना जागा, हुआ कायल ।।
ये कैसी प्यास, कैसा माया जाल l
मौतों पर भी न, जरा सा मलाल ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न